Ashma

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लेखनी प्रतियोगिता -03-Jun-2022

 जब मम्मी ने भेजा पहली दफा स्कूल के द्वारे

तो रोया मै ज़ोर से बड़े "नहीं मां मैं रहूंगा साथ तुम्हारे"
फिर मां ने आंसू पोंछे, गले लगाकर बोली वो
जो ये टीचर मैडम है मां जैसी हैं, आदर देना इनको
थोड़े दिनों में दोस्त बने, मैडम भी अच्छी लगने लगी
जब आता रिजल्ट तो मैडम कहती मां को
थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत है, शरारती है
फिर मां मुझको घर जाकर वो अच्छे से समझाती है
देखते देखते बीत गए कई साल
फिर 12th में समझ आया  के जो स्कूल एक जेल सी लगता थअब यहां से निकल जाना है
कुछ ही महीने ही बचे थे पेपर को
मन में जब बिछड़ने, स्कूल छोड़ने और टीचर्स की डांट याद आती
 तो मन बहुत विचलित होता, हिलौर लेता
और अचानक वो दिन आ ही गया
प्रिंसिपल मेम ने सबको थमा दिए प्रवेश पत्र
क्योंकि खत्म हो गया हमारा स्कूल सत्र
आंखों से आंसू बाहर आने को आतुर
हम गए अपनी कक्षा में सब अंदर से दुखी और बाहर थे खुश
कह रहे हम आपस में के जेल से छुटकारा मिलेगा
कॉलेज में अपना अलग ही तौर चलेगा
बस कुछ मिनट ही बचे थे छुट्टी होने में
सब देख एक दूसरे को व्यस्त हुए रोने में
एक टीचर ऐसी थी कि उनकी उपमा नहीं दी जा सकती
सब को इंतजार था उनका, लेकिन वो किसी कार्य में व्यस्त थीं
लेकिन वो थी एक ऐसा हीरा जो दुनिया में धरती पर ढूंढे भी न मिले
फिर वो पल आया जब उन्होंने हमारी कक्षा में कदम रखा
हो गए देखते ही सब भावुक, और आंसू उनके भी नही रहे थे रुक
फिर लंबी सांस लेकर उन्होंने हमे किया संबोधित
लग रहा था जैसे सब हो गए सम्मोहित
बड़ा ही भावुक और रुलाने वाला था वो पल
हम स्कूल तो छोड़ आए लेकिन आज भी जीते हैं वो बीते कल
कॉलेज में आए पता चला कि स्कूली जिंदगी सबसे बढ़िया है
ये सच है किसी के लिए मीठा है तो किसी के लिए कड़वा है
वो दिन याद आते ही हम फिर स्कूल में खो जाते हैं
वो दिन बहुत याद आते हैं
बहुत याद आते हैं।

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9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Jun-2022 11:55 AM

बेहतरीन रचना

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Saba Rahman

05-Jun-2022 11:18 PM

Osm

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Shnaya

05-Jun-2022 07:37 PM

बहुत खूब

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